सद्गुरु दर्शन और गुरु मंत्र जप विधि के लिए विशेष साधना
गुरु मंत्र जप विधि शिष्य के लिए एक महत्वपूर्ण साधना है, जो गुरु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का सर्वोत्तम माध्यम मानी जाती है। इस साधना में गुरु के दर्शन का आह्वान होता है, जिससे शिष्य को आध्यात्मिक ज्ञान, शक्ति, और मार्गदर्शन प्राप्त होता है।इस साधना के लिए शिष्य को सफेद सूती आसन का उपयोग करना चाहिए और उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। जप संख्या एक लाख निर्धारित की गई है, लेकिन इसे अपनी सुविधा के अनुसार किया जा सकता है। इस साधना की अवधि भी शिष्य की क्षमता और समय के अनुसार तय की जा सकती है।
सामग्री:
सामग्री :- सद्गुरु की मूर्ति या चित्र, शुद्ध घृत का दीपक ।
माला :- स्फटिक माला ।
समय :- दिन या रात का कोई भी समय ।
आसन :- सफेद सूती आसन ।
दिशा : उत्तर दिशा ।।
जप संख्या : एक लाख ।
अवधि: जो भी सम्भव हो ।
साधना के दौरान शिष्य को उत्तर दिशा की ओर मुख करके सफेद सूती आसन पर बैठना चाहिए और स्फटिक माला का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि यह माला ऊर्जा को संचित करने में सहायक होती है। जप के लिए मंत्र है:
विधि
साधना की प्रक्रिया को किसी भी गुरुवार से प्रारंभ करें। स्नान के बाद सफेद सूती आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। जप के दौरान निम्नलिखित मंत्र का उपयोग करें:
।। ॐ ह्रीं गुरौ प्रसीद ह्रीं ॐ ॥
यह मंत्र गुरु की कृपा को शीघ्र प्राप्त करने में सहायक होता है। साधना का जप एक लाख बार करना आदर्श है, परंतु इसे अपनी क्षमता के अनुसार भी किया जा सकता है।
दिशा-निर्देश
इस गुरु मंत्र जप विधि से शिष्य को केवल गुरु का आशीर्वाद ही नहीं, बल्कि अपने भीतर की शक्तियों को जागृत करने का अवसर भी मिलता है। यह साधना आत्मज्ञान की ओर पहला कदम है और शिष्य को उसकी सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
प्रयोग :- किसी भी गुरुवार को यह प्रयोग प्रारम्भ करना चाहिए प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ धोती पहन कर सामने गुरुदेव का चित्र रख और विधि विधान से पूजा कर मंत्र जप करे, तो मंत्र जप पूरा होने पर गुरु प्रसन्न होते है और वह जिस प्रकार से चाहता है, उस प्रकार से उसकी इच्छा पूरी हो जाती है। यदि किसी को अपना गुरु नहीं मिला हो, तो इस प्रयोग से गुरु मिल जाते है, यदि गुरु अप्रसन्न हो तो प्रसन्न हो जाते है और शिष्य अपने गुरु से जो विद्या सीखना चाहता है, वह विद्या गुरु स्वतः ही देने को तैयार हो जाते हैं।
साधना के लाभ
इस गुरु मंत्र जप विधि से शिष्य को गुरु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शिष्य की सुप्त शक्तियां जागृत होती हैं और उसे आत्मज्ञान की ओर प्रेरणा मिलती है। यह साधना गुरु के प्रति श्रद्धा और समर्पण को बढ़ावा देती है, जिससे शिष्य को आध्यात्मिक मार्ग पर सही दिशा प्राप्त होती है।